| 1. | जहाँ जो वस्तु नहीं है वहाँ उस वस्तु को कल्पित करना अध्यास कहा जाता है.
|
| 2. | किसी वस्तु को रुचिकर कल्पित करना सुख है, और किसी वस्तु को अरुचिकर कल्पित करना दुख है।
|
| 3. | किसी वस्तु को रुचिकर कल्पित करना सुख है, और किसी वस्तु को अरुचिकर कल्पित करना दुख है।
|
| 4. | अस्तित्व के और मृत्यु के सन्दर्भ में साहित्य को कुछ इस रूप में कल्पित करना मुझे ठीक लगता है।
|
| 5. | जैसे किसी एक आकाश गंगा की गति जानने के के लिए किसी दूसरी आकाश गंगा को स्थिर कल्पित करना पडेगा.
|